समाचार शगुन उत्तराखंड
पहली महिला शिक्षिका सावित्री फुले की 194 वीं जयंती की पूर्व संध्या पर आज गुरुवार को रामनगर के पटरानी में स्थित सावित्रीबाई फुले सांयकालीन स्कूल ने अपना वार्षिकोत्सव मनाया।रचनात्मक शिक्षक मण्डल उत्तराखण्ड की पहल पर बालिका शिक्षा को प्रेरित करने के लिए खुले इस स्कूल में कार्यक्रम शुरुआत सांस्कृतिक टीम उज्यावक दगडी द्वारा हीरा सिंह राणा के गीत “लस्का कमर बांधा” एवं सफदर हाशमी।के गीत पढ़ना लिखना सीखो से हुई। कार्यक्रम में बोलते हुए शिक्षक मंडल संयोजक नवेंदु मठपाल ने कहा कि सावित्रीबाई फुले ने अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर 175 साल पहले बालिका शिक्षा के लिए जो काम किया वह आज भी अनुकरणीय है।
ब्राह्मणवादी,जातिवादी समाज से लड़ते हुए ज्योतिबा ने अपनी पत्नी सावित्रीबाई को शिक्षित करने की ठानी, जिसका विरोध उनके घर में ही हुआ और उन्हें घर से निकाल दिया गया। फुले दंपती को शरण दी उस्मान शेख और उनकी बहन फातिमा शेख ने। उन्हीं के घर में फुले दंपती ने लड़कियों के लिए पहला कन्या स्कूल खोला और हिंदू-मुस्लिम एकता के दम पर समाज में फैली रुढ़ियों पर गहरी चोट की। प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष नंदराम आर्य ने कहा शिक्षा का बाजारीकरण होने के कारण आज शिक्षा महंगी हो गई है, जिसकी वजह से एक बार फिर स्त्रियों को शिक्षा के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। लाखों रुपए की फीस देकर उच्च शिक्षा में प्रवेश कर पाना महिलाओं के लिए चुनौती है। लिंगभेद पर टिके इस समाज में शिक्षा के बाजारीकरण और निजीकरण की पहली मार महिलाओं और वंचित तबकों पर ही पड़ रही है। सांयकालीन स्कूल संयोजिका रेखा आर्य ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। भोजनमाता जानकी देवी की अध्यक्षता में हुए इस कार्यक्रम का संचालन रिंकी आर्य ने किया। इस मौके पर नंदराम आर्य, सुभाष गोला, नवीन पपने,हरीश आर्या, रिंकी, हरुली देवी, चनुली देवी, देवकी देवी, मानुली देवी, लवली, दीपाली समेत बड़ी संख्या में स्थानीय ग्रामीण मौजूद रहे।