बनभूलपुरा की दर्द भरी कहानी इस महिला अधिकारी की जुबानी

समाचार शगुन, हल्द्वानी उत्तराखंड 

हल्द्वानी। बनभूलपुरा हिंसा के पांच दिन बाद शहर में हालात सामान्य हो रहे हैं लेकिन उपद्रव में घायल लोग अब भी सहमे हुए हैं। सोमवार को बनभूलपुरा में कर्फ्यू लगा रहा। वहीं शहर में स्कूल-कालेज खोल दिए गये हैं। वहीं डीएम ने‌ बनभूलपुरा के 120 शस्त्र लाइसेंस निरस्त कर दिए हैं। इधर बसों का संचालन भी पटरी पर लौट आया है। जानकारी मिली है कि अब हल्द्वानी रेलवे स्टेशन में भी ट्रेनें रुकेंगी।
बीती आठ फरवरी को बनभूलपुरा के मलिक के बगीचे में नजूल भूमि से अवैध मदरसा व नमाज स्थल हटाने को लेकर उपद्रव हो गया था। इसमें पांच लोगों की मौत हो गई थी जबकि तमाम पुलिस कर्मी व‌ पत्रकार घायल हो गए थे। घायलों में होमगार्ड की सहायक कमांडेंट कमला पांडे भी शामिल हैं। पथराव में सहायक कमांडेंट कमला बुरी तरह जख्मी हुईं हैं। उनका कान‌ फटा है, उसमें नौ टांके लगे हैं। उपद्रव ‌के बारे में जानकारी लेने पर सहायक कमांडेंट कमला ने बताया कि मलिक के बगीचे में अतिक्रमण ध्वस्त करने के दौरान वह मौके पर मौजूद थीं। जैसी जेसीबी ने अतिक्रमण तोड़ना शुरू किया तो, पथराव शुरू हो गया। देखते ही देखते पत्थरों की बारिश होने लगी। इस दौरान भगदड़ मचने पर वह अन्य कर्मचारियों से अलग हो गयी। इलाका अंधेरे में डूब गया था। सब जान बचाकर भागने लगे थे। उन्होंने पथराव के दौरान जेसीबी की आड़ ली लेकिन वहां ज्यादा देर रूक नहीं पाई, माहौल ऐसा था कि स्थानीय महिलाएं भी उग्र नजर आईं। भागने के‌ लिए उन्हें रास्ता ही नहीं दिखा लेकिन हिम्मत करके वह मां काली के आशीर्वाद से वहां से सकुशल निकल सकीं। उन्होंने बताया कि देश में पूर्व में हुए दंगों में भी ड्यूटी की लेकिन हल्द्वानी के बनभूलपुरा की घटना उनमें से अलग है।

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