समाचार शगुन उत्तराखंड
उत्तराखंडी लोकभाषाओं के प्रति रुचि पैदा करने के लिए राजकीय इंटर कालेज ढेला में विभिन्न कार्यक्रम हुए।उत्तराखंडी लोकभाषाओं पर काम करने वाले संगठन दुदबोली की पहल पर हुए कार्यक्रम की शुरुआत नरेंद्र सिंह नेगी,हीरा सिंह राणा और गिरीश तिवारी गिर्दा के गीतों से हुई। इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए कुमाऊंनी कवि निखिलेश उपाध्याय ने कहा मां द्वारा बचपन से ही हमको सिखाई जाने वाली भाषा ही दुदबोली है,आज हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम अपनी दुदबोली अर्थात उत्तराखंडी लोकभाषाओं को अधिकतम बोलें,व्यवहार में लाएं। उन्होंने कहा केवल उच्च शिक्षा में ही नहीं बल्कि प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर भी कुमाउनी,गढ़वाली,जौनसारी, जौहारी आदि लोकभाषाओं को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।इस मौके पर कक्षा 6 की दिव्यांशी रावत,यामिनी मावड़ी, तमन्ना द्वारा कुमाऊंनी में कहानियां सुनाई गई। दीक्षा बिष्ट द्वारा कुमाऊनी में मुहावरे पूछे गए। दीक्षा करायत, वैशाली नेगी, गीतांजलि पंचवाल, रोशनी द्वारा उत्तराखंडी लोकभाषाओं के साहित्यकार शेरदा अनपढ़, मथुरादत्त मठपाल, जगदीश जोशी, कन्हैयालाल डंडरियाल, भानुराम सुकोटी के साहित्य का वाचन किया गया। बच्चों द्वारा कुमाऊंनी भाषा में तैयार किए गए नाटक “घस्यारी पंचेत” जिसमें महिलाएं जंगल में घास काटने जाती हैं और पतरोल से उनका वार्तालाप हो जाता है को काफी सराहा गया।बी मोहन नेगी एवं ललित तुलेरा द्वारा बनाए गए कविता पोस्टर मुख्य आकर्षण का केंद्र रहे। सुमन आर्य, विक्रम कुमार, पूनम सत्यपाल, निखिलेश पंचवाल, विवेक रावत द्वारा भी कविता पोस्टर बनाए गए।सभी प्रतिभागी बच्चों को पुरस्कार स्वरूप उत्तराखंडी लोकभाषाओं का साहित्य दिया गया।।संचालन सी पी खाती ने किया। इस मौके पर विद्यालय के प्रधानाचार्य श्रीराम यादव, सीपी खाती, नवेंदु मठपाल, महेंद्र आर्या, सुभाष गोला, उषा पवार, सविता रावत मौजूद रहे।