समाचार शगुन हल्द्वानी उत्तराखंड
टिहरी राजशाही के अत्याचारों के खिलाफ 84 दिन तक आमरण अनशन कर शहीद होने वाले श्रीदेव सुमन को आज गुरुवार को उनकी 80वें शहादत दिवस के अवसर पर राजकीय इंटर कालेज ढेला में विभिन्न कार्यक्रमों के साथ याद किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत प्रातकालीन सभा में उनके चित्र पर माल्यार्पण से हुई। इस मौके पर उनके जीवन पर बातचीत रखते हुए अंग्रेजी प्रवक्ता नवेंदु मठपाल ने कहा कि श्रीदेव सुमन का नाम देश के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है। उन्होंने टिहरी राजशाही के अत्याचारों के खिलाफ जेल में दो बार आमरण अनशन किया। दूसरी बार 84 दिनों तक जेल के भीतर आमरण अनशन करते हुए श्रीदेव सुमन ने 25 जुलाई, 1944 को अपने प्राण त्याग दिये, परन्तु टिहरी के राजा के सामने हार नहीं मानी। क्रूर राजा ने उनके शव को बोरे में भरकर भिलंगना नदी में फिंकवा दिया था। उनकी शहादत का ही असर रहा कि 4 साल बाद टिहरी राजशाही का अंत हुआ और आजाद भारत में टिहरी का विलय हुआ। बारहवीं कक्षा के विवेक बिष्ट, मनीषा, दीपांशु, गौरव ने भी उनके जीवन और कार्यों पर बातचीत रखी।जीवविज्ञान प्रवक्ता सीपी खाती के दिशा-निर्देशन में बच्चों की एक सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता आयोजित करवाई गई। कला शिक्षा प्रदीप शर्मा के दिशा-निर्देशन में बच्चों ने श्रीदेव सुमन का चित्र बनाया। श्रीदेव सुमन के जीवन पर बारामासा द्वारा बनाई गई डॉक्यूमेंट्री भी बच्चों ने देखी। प्रधानाचार्य श्रीराम यादव, नवेंदु मठपाल, सीपी खाती, मनोज जोशी, हरीश चंद्र आर्य, महेंद्र आर्य, शैलेंद्र भट्ट, बालकृष्ण चंद, प्रदीप शर्मा, संजीव कुमार, नरेश कुमार, संत सिंह, पद्मा, उषा पवार, जया बाफिला, सविता रावत आदि मौजूद थे।