कालजई फिल्मों को देख खिल उठे जीआईसी सुंदरखाल और चौरलेख के बच्चों के चेहरे

समाचार शगुन हल्द्वानी उत्तराखंड 

रचनात्मक शिक्षक मंडल उत्तराखंड की पहल पर नैनीताल जिले के धारी ब्लाक में स्कूली बच्चों के लिए चल रहे दो दिवसीय बाल फिल्म मेले के तहत आज मंगलवार 18 जून को जीआईसी सुंदरखाल और चौरलेख के बच्चों ने कालजई फिल्मों का आनंद लिया। कार्यक्रम की शुरुआत कुमाऊंनी वरिष्ठ कवि हीरा सिंह राणा के प्रसिद्ध गीत लसका कमर बांधा, हिम्मत का साथा, फिर भोला उज्याली होली, कां ले रौली राता ’ की सामूहिक प्रस्तुति से हुई।
बच्चों ने सबसे पहले श्याम बेनेगल निर्देशित फिल्म चरणदास चोर देखी। छत्तीसगढ़ी लोककथा पर आधारित इस फिल्म में एक चोर होता है चरणदास, जो चोरी जरूर करता है पर अमीरों की, फिर गरीबों को बांट देता है। फिल्म हास्य के साथ साथ भारतीय समाज की विसंगतियों पर जबरदस्त व्यंग है। बच्चों ने दूसरी फिल्म देखी चंदा के जूते। एकतारा समूह द्वारा निर्देशित यह फिल्म हमारी शिक्षा की गड़बड़ियों की ओर इशारा करती है। झुग्गियों में रहने वाली चंदा को एक कांवेंट स्कूल में भर्ती कर दिया जाता है। चंदा को सबकुछ स्वीकार है, पर जूते पहनने से परेशानी है। स्कूल में जूते पहनना अनिवार्य है। इसी को केंद्रित यह फिल्म शने शने बताती चली जाती है कि कैसे हमारी शिक्षा व्यवस्था कैसे बाल मनोविज्ञान को नकारती है। बाल फिल्म समारोह संयोजक नवेंदु मठपाल ने बच्चों को फिल्मों में रंगों का संयोजन और आवाज के महत्व को समझाया।
बच्चों ने ऑस्कर पुरस्कार समेत अनेकानेक पुरस्कारों से नवाजी गई फिल्म द रेड बलून भी देखी। द रेड बलून एक कालातीत क्लासिक है जिसने दशकों से दर्शकों को आकर्षित किया है। 1956 में रिलीज हुई यह फ्रेंच शॉर्ट फ़िल्म पास्कल नाम के एक युवा लड़के की दिल को छू लेने वाली कहानी बताती है जो एक जादुई लाल गुब्बारे से दोस्ती करता है। अल्बर्ट लैमोरिस द्वारा निर्देशित, यह आकर्षक कहानी दर्शकों को आश्चर्य और कल्पना की दुनिया में ले जाती है। इस मौके पर प्रधानाचार्य सुमति नारायण,
चौरलेख प्रधानाचार्य हेम चंद जोशी, डा.राजेश पाडेय, नवेंदु मठपाल, जिला उपाध्यक्ष संगीता जोशी, भूपेंद्र चौधरी, प्रदीप जोशी, राखी रावत, प्रदीप सनवाल, दीपा रैक्वाल, हरीश चंद्र जोशी, पंकज वर्मा, सीमा, दीप्ति राना आदि मौजूद थे।

 

 

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