शिवरात्रि पर शिवभक्तों की राह रोक चलते बने धामी: बल्यूटिया

समाचार शगुन, हल्द्वानी उत्तराखंड 

चुनावी माहौल में जुमलों की हुई वर्षा: बल्यूटिया
रिंग रोड, आईएसबीटी, जू सफारी, बहुउद्देशीय भवन, पर्वतीय अंचल में छोटी मंडियों सहित अन्य घोषणाओं का जवाब दें धामी
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया ने शुक्रवार को हल्द्वानी में जारी बयान में कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा बस टर्मिनल की घोषणा महज चुनावी जुमला है। जहां एक तरफ उत्तराखण्ड परिवहन निगम द्वारा पहाड़ों में 70-80 प्रतिशत मार्गों में बस का संचालन बंद कर दिया गया और निगम के पास अच्छी हालत में बसें भी नहीं हैं दूसरी तरफ नियमतीकरण की आस लगाए उत्तराखण्ड निगम के 2900 विशेष संविदा कर्मचारी जो चालक, परिचालक, कार्यशाला में विगत 2006 से कार्यरत हैं आज नियमितीकरण की घोषणा नहीं होने से मायूस और ठगा महसूस कर रहे हैं । जबकि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा नियमतीकरण का आदेश दिया गया है ऐसे में बस टर्मिनल का शिलान्यास महज चुनावी जुमला है। बल्यूटिया ने जहां बस टर्मिनल बनाने की बात की जा रही है वहां टर्मिनल बनने के बाद आए दिन जाम लगेगा क्योंकि मुख्यमार्ग बहुत संकरा है जिसमे टूवे( दोनों तरफ का ट्रैफिक) चलता है। प्रशासन को चाहिए जनता को मद्देनजर रखकर ही योजना बनाए जिससे जनता को परेशानी ना हो। बल्यूटिया ने कहा कि भाजपा सरकार अपनी ही की गई रिंग रोड, आईएसबीटी, जू सफारी, बहुउद्देशीय भवन, पर्वतीय अंचल में छोटी मंडियों सहित अन्य घोषणाऐं भूल गई है नई- नई चुनावी घोषणा जारी हैं जिसका जवाब धामी को जनता को देना पड़ेगा।
आईएसबीटी जिसकी हल्द्वानी नितांत आवश्यकता है इससे मुख्यमंत्री ने मुंहमोड़ लिया। कांग्रेस सरकार में शुरू किया गया आईएसबीटी के काम में रोक लगाकर भाजपा ने विकास विरोधी होने का प्रमाण दिया है। भाजपा की वर्षों पुरानी रिंग रोड घोषणा का जनता को आज भी इंतजार है। बल्यूटिया ने कहा कि शिवरात्रि के महापर्व में मुख्यमंत्री ने शिवभक्त श्रद्धालुओं की राह रोकी। वीआईपी कल्चर के चलते जनता घण्टों जाम में फंसी रही, लोग मंदिर तक नहीं जा सके, लोगों की ट्रेनें छूट गई, मरीज जाम में फंसे रहे लेकिन न ही मुख्यमंत्री और न ही प्रशासन को जनता की समस्या से सरोकार रहा। बल्यूटिया ने कहा कि जनता त्रस्त है सरकार मस्त है। महंगाई, बेरोजगारी, पलायन, सुलभ चिकित्सा, शिक्षा से इस सरकार को कोई सरोकार नहीं है। पहले इजा-बैणी के नाम पर अब महिलाओं के सम्मान के नाम पर राजनैतिक रोटी सेकी जा रही है। यदि सरकार महिलाओं सही सम्मान करना चाहती है तो अंकिता के हत्यारों को बेनकाब करे।

 

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