समाचार शगुन हल्द्वानी उत्तराखंड
हल्द्वानी में सड़क चौड़ीकरण के नाम पर काटे जा रहे विशालकाय व छायादार पेड़ों को बचाने की जिला प्रशासन से गुहार लगाई गई है। इस संबंध में कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया के नेतृत्व में आज बुधवार 27 जून को जिलाधिकारी को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट एपी वाजपेई को सौंपा गया। ज्ञापन में कहा गया है कि काठगोदाम रेलवे स्टेशन, नरीमन चौराहा स्थित नैनीताल मुख्य मार्ग में सड़क चौड़ीकरण का कार्य किया जा रहा है और सड़क किनारे स्थित वर्षो पुराने वृक्षों का वन विभाग द्वारा पातन करने के लिए निशान भी लगा दिये गये हैं। जिसको लेकर जनता में भारी आक्रोश है, चूंकि ‘‘वृक्ष है तो हम है‘‘, और इन वृक्षोें से ही उत्तराखण्ड की पहचान हैं जिनके सौन्दर्य से पर्यटक आकर्षित होते हैं। यह वृक्ष राहगीरों को छाया देते हैं, साथ ही प्राणियों को ऑक्सी़जन देकर जीवनदायनी का काम कर रहे है। ऐसे में सड़क चौड़ीकरण के नाम पर इन विशालकाय वृक्षों का काटा जाना एक अनुचित निर्णय है। ग्रीष्मकाल में उच्च तापमान ने भविष्य के लिए अपनी चेतावनी दर्ज करायी हैं कि यदि पेड़ अधिक कटेंगे तो मानव जीवन व सभी प्राणियों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा। पेड़ों के कटने से प्राकृतिक, पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ने से जन जीवन पूर्णतया प्रभावित होगा। उनका कहना था कि उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड द्वारा अधिक से अधिक वृक्ष लगाने का आदेश सरकार को दिया गया है। इसके विपरीत बिना उचित योजना बनाये प्रशासन आनन फानन में कार्य करने को आतुर है जबकि रेलवे स्टेशन, नरीमन चौराहा जहां ट्रैफिक जाम की स्थिति रहती हैं वहां पर प्रशासन ने कुशल यातायात प्रबन्धन व अन्य विकल्प के माध्यम से समस्या का निदान करना चाहिए। इसके लिए विदेशों की तर्ज पर प्रशासन ने तैयार की गयी रूपरेखा से जनता को अवगत कराना चाहिए और इस पर जनता से सुझाव आंमत्रित किये जाने चाहिए ताकि जनआकांक्षाओं के अनुरूप विकास हो सके। प्रशासन बड़े पेड़ जैसे कि पाखड़, पीपल, नीम, सैमल, हल्दू आदि की शिफ्टिंग की बात कह रहा है। जो कि प्रथम दृष्टया अव्यावहारिक व असफल प्रतीत होता है, क्योंकि काठगोदाम क्षेत्र पहाड़ की तलहटी पर स्थित है और जिसकी मिट्टी पथरीली हैं। इसमें वृक्षों की जड़े फैली हुई है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि विशालकाय वृक्षों को मय जड़ सुरक्षित रूप से उखाड़ना कैसे सम्भव होगा। प्रशासन स्पष्ट करें कि क्या पेड़ों की जड़ों की मिट्टी के स्वरूप की जांच करा ली गई है। वनस्पति विशेषज्ञों से यह जानकारी ले ली गई है क्या शिफ्ट किये जाने के बाद पेड़ जीवित/सुरक्षित रह पायेंगे। पेड़ों का प्रत्यारोपण यदि सफल नहीं हुआ तो इसमें होने वाले व्यय जो कि जनता की गाढ़ी कमाई है उसकी बरबादी होगी। प्रत्येक पहलू को ध्यान में रखते हुए ही निर्णय लिया जाना उचित होगा। प्रशासन को मार्ग चौड़ीकरण एवं वृक्षों के प्रत्यारोपण के रोडमैप की समस्त जांचों की आख्या सार्वजनिक करनी चाहिए। सड़क चौड़ीकरण योजना कहां से कहां तक प्रस्तावित हैं इसकी पूर्ण जानकारी उपलब्ध करायी जाय क्योंकि यदि सड़क चौड़ीकरण रानीबाग तक ही है, तो इसका कदाचित लाभ प्रतीत नहीं होता क्योंकि आगे जाकर सड़क संकरी हो जायेगी जो फिर से एक जाम का नया स्थल बन जायेगा। इसलिए पूर्ण कार्ययोजना की रूपरेखा को जनपटल पर रखना उचित होगा और इसमें प्रतिनिधियों व जागरूक जनता को विश्वास में लेकर उनकी राय लेना उचित होगा। ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल एवं विद्युत आपूर्ति जैसे ज्वलन्त मुद्दों पर शासन उदासीन है जबकि आंशिक सड़क चौड़ीकरण व वर्षो पुराने वृक्षों को काटने की तत्परता से संदेह की परिस्थिति उत्पन्न होती है। ज्ञापन सौंपने वालों में कांग्रेस जिलाध्यक्ष राहुल छिमवाल, पूर्व दर्जा राज्यमंत्री ललित जोशी, प्रबन्धक महात्मा गांधी स्कूल मोहन बोरा, मनमोहन जोशी, भुवन चन्द्र तिवारी, सौरभ भट्ट, कमल जोशी, महेशानन्द, हरीश रावत, कुणाल गोस्वामी, मधुकर बनोला, पूर्व छात्रनेता वीरेन्द्र सिंह जग्गी, मोहन चन्द्र सनवाल, राहुल आर्य, वसीम अली, हिमांशु पाण्डे, मनोज बल्यूटिया, विनोद तिवारी, भाष्कर बल्यूटिया, पीयूष बल्यूटिया, मनोज दहिया, सैय्यद रेहान आदि शामिल थे।