रामनगर के सायंकालीन स्कूलों ने राष्ट्रीय स्तर पर बनाई पहचान

समाचार शगुन हल्द्वानी उत्तराखंड 

रचनात्मक शिक्षण मंडल द्वारा रामनगर के आसपास ग्रामीण क्षेत्रों में चलाए जा रहे सांयकालीन स्कूल अब राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुके हैं। इन्हीं स्कूलों में बच्चों से मिलने और वहां के स्कूलों के व्यवस्था को देखने कोयंबटूर तमिलनाडु में विधि की असिस्टेंट प्रोफेसर सोना सुंदर यहां पहुंची। सोना सुंदर जो कि इन दोनों उत्तराखंड में शिक्षा की हालात पर जानकारी हेतु भ्रमण पर हैं जब रामनगर पहुंची तो उनके मित्र ने उनको सांयकालीन स्कूलों के बारे में जानकारी दी और सोना सुंदर पुछड़ी में चल रहे सांयकालीन स्कूल में पहुंच गई ।जहां स्कूल संचालक मंडल के सदस्य नवेंदु मठपाल ने उनको स्कूल के बारे में विस्तार से बताया। मठपाल ने जानकारी दी की रामनगर के नजदीक पूछड़ी और पटरानी के ग्रामीण क्षेत्र में रचनात्मक शिक्षण मंडल द्वारा सामाजिक आर्थिक रूप से वंचित समुदाय के बच्चों के लिए यह स्कूल संचालित किए जा रहे हैं। स्कूल ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले के नाम से खोले गए हैं जिन्हें भारत की पहली महिला शिक्षिका के रूप में जाना जाता है। 2021 अक्तूबर माह में रामनगर में कोसी में बहुत भयंकर बाढ़ आई, इसके पश्चात रचनात्मक शिक्षण मंडल की टीम ने बाढ़ से प्रभावित बच्चों की शिक्षा को लेकर एक वृहद अभियान चलाया ताकि ताकि उस क्षेत्र का कोई भी बच्चा गरीबी के कारण शिक्षा से वंचित न रह पाए। इन तीन वर्षों में लगभग डेढ़ सौ से अधिक बच्चों को इन स्कूलों के माध्यम से शिक्षा की मुख्य धारा में लाते हुए सरकारी स्कूलों में एडमिशन दे दिया गया है। जबकि इससे पहले यह अधिकांश बच्चे या तो कूड़ा बीनते थे या रेता बजरी की मजदूरी में लगे हुए थे। वर्तमान में इन स्कूलों में से ढाई सौ से अधिक बच्चे जुड़े हुए हैं ।शिक्षक मंडल की टीम ने सोना सुंदर को बताया कि वर्तमान में रामनगर के नजदीक पूछड़ी जहां की पूरे रामनगर क्षेत्र के कूड़े को डाला जाता है वहां एक स्कूल संचालित किया जाता है उसके साथ ही कॉर्बेट से लगे हुए पटरानी क्षेत्र में दो स्कूल एक बच्चों के लिए और एक बालिकाओं के लिए कंप्यूटर शिक्षण का संचालित किया जा रहा है। इन स्कूलों में शाम के समय इन तमाम बच्चों को पढ़ने की सभी सुविधाएं दी जाती है यहां तक की शिक्षक मंडल की टीम द्वारा उनको सभी प्रकार की शैक्षणिक सामग्री देने के साथ-साथ उनका कपड़े इत्यादि भी दिए जाते हैं। वर्षभर शिक्षण से इतर अन्य गतिविधियां भी करवाई जाती हैं। बच्चों को नाटक, सिनेमा आदि के माध्यम से भी शिक्षित किया जा रहा है। यह सभी सांयकालीन स्कूल पूर्णतया रचनात्मक शिक्षण मंडल से जुड़े हुए शिक्षकों एवं शिक्षक मंडल के शुभचिंतकों के आर्थिक सहयोग से ही संचालित किया जा रहे हैं। सोना सुंदर ने शिक्षण मंडल के सांयकालीन स्कूलों की प्रशंसा करते हुए कहा कि शिक्षक मंडल एक ऐतिहासिक कार्य कर रही है और वर्तमान में आर्थिक सामाजिक रूप से वंचित समुदाय के बच्चों के बीच शिक्षा का प्रसार एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य है जिसकी आज बहुत जरूरत है। इस मौके पर सुजल, रिंकी, मो ताहिर,अमन रावत नंदराम आर्य,बालकृष्ण चंद, सुभाष गोला, सुमित कुमार मौजूद रहे।

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