नानकमत्ता पब्लिक स्कूल में शहीद भगत सिंह की 118वीं जयंती पर सांस्कृतिक कार्यक्रम

समाचार शगुन उत्तराखंड 


शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 118वीं जयंती के अवसर पर नानकमत्ता पब्लिक स्कूल में छात्रों और शिक्षकों ने भगत सिंह और उनके साथियों की क्रांतिकारी विरासत को याद किया। इस मौके पर प्रख्यात लेखक और क्रांतिकारी आंदोलनों पर गहन कार्य करने वाले सुधीर विद्यार्थी ने आजादी के आंदोलन की क्रांतिकारी विरासत विषय पर व्याख्यान दिया। कार्यक्रम की शुरुआत क्रांतिकारियों के जीवन पर आधारित डॉक्यूमेंट्री फिल्म “इंकलाब” के प्रदर्शन से हुई। इसके बाद हिंदी के प्रगतिशील कवि वीरेन्द्र डंगवाल की स्मृति में छात्रों ने उनकी कविताएँ गाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम का संचालन रचनात्मक शिक्षक मंडल, उत्तराखंड के संयोजक नवेंदु मठपाल ने किया। अपने लगभग दो घंटे के वक्तव्य में सुधीर विद्यार्थी ने कहा कि “भगत सिंह आज भी जनता की चेतना में जिंदा हैं। भारत में सबसे कम पढ़े-लिखे लोगों ने उन पर सबसे अधिक लोकगीत रचे हैं।” उन्होंने भगत सिंह के साथ-साथ राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, राजगुरु और हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन पार्टी के दर्शन पर भी प्रकाश डाला। विद्यार्थी ने कहा कि आज़ादी की लड़ाई किसी एक व्यक्ति की नहीं बल्कि उन विचारों की थी, जो शोषण मुक्त समाज का सपना देखते थे—जहाँ न एक इंसान दूसरे का और न ही एक देश दूसरे देश का शोषण कर सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि क्रांतिकारियों का उद्देश्य किसी को मारना नहीं था बल्कि लोगों के दिलों में आज़ादी, बराबरी और न्याय के विचार स्थापित करना था। विशेष रूप से भगत सिंह की वैचारिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक समझ को उनकी असली ताकत बताया। विद्यार्थी ने कहा, “भगत सिंह को उनकी बंदूक या बम के लिए नहीं, बल्कि उनकी वैचारिक गहराई के लिए याद किया जाना चाहिए।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि 23 वर्ष का एक नौजवान इतना बड़ा कद रखता है जिसमें किसी एक धर्म विशेष और जाति की पगड़ी फिट नहीं हो सकती। अपने व्याख्यान के अंत में विद्यार्थी ने भगत सिंह के अंतिम दिनों का ज़िक्र करते हुए कहा कि जब उन्हें फाँसी पर ले जाया जा रहा था, वे लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे। उन्होंने किताब का पन्ना मोड़ा, उसे एक तरफ रखा और हँसते हुए अपने अंतिम सफर की ओर बढ़ गए। विद्यार्थी जी ने कहा, “उम्मीद है कि कोई नौजवान उस किताब के मुड़े हुए पन्ने को फिर से सीधा करेगा और उस अधूरी यात्रा को पूरा करेगा। कार्यक्रम में छात्रों और शिक्षकों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही। यह आयोजन विद्यार्थियों के लिए इतिहास और वर्तमान के बीच एक जीवंत संवाद साबित हुआ। इस मौके पर संजीव सक्सेना,कमलेश अटवाल, प्रमोद कांडपाल, आशीष चौधरी, अंजलि कश्यप और सत्यम चौरसिया शामिल रहे।

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