समाचार शगुन हल्द्वानी उत्तराखंड
एक अक्टूबर 1990 के बाद से नियुक्त तदर्थ शिक्षकों को जिन्हें वर्ष 2002 में विनियमित किया गया और नियुक्त तिथि से गणना करते हुए उन्हें 2001 में चयन वेतनमान तथा 2013 में प्रोन्नत वेतनमान अनुमन्य किया गया। कुछ दिनों पूर्व विभाग के एक आदेश के क्रम में तदर्थ विनियमित शिक्षकों के चयन एवं प्रोन्नत वेतन के निर्धारण में उनकी विनियमितिकरण की तिथि से गणना करने की कार्यवाही शुरू किए जाने से हजारों तदर्थ विनियमित शिक्षकों को आर्थिक हानि का अंदेशा होने पर राजकीय शिक्षक संघ के पूर्व जिला मंत्री एवं तदर्थ विनियमित संघर्ष समिति के संयोजक राजकुमुद पाठक के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के डिवीजन बेंच के विशेष अपील संख्या 223/2022 में पारित निर्णय के आधार पर उच्च अधिकारियों से संबंधित आदेश वापस लिए जाने निवेदन पर कार्यवाही न होने पर अपने कुछ प्रभावित शिक्षकों के साथ माननीय उच्च न्यायालय की शरण में गए माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा दिनांक 21 फरवरी को दिए गए आदेश में कहा गया है कि जो आदेश विशेष अपील संख्या 223 में पारित किया गया है या आदेश भी उसी से कवर्ड होता है और इस बात को सम्मानित विद्वान अधिवक्ता जो विभाग का पक्ष रख रहे थे उनके द्वारा स्वीकार किया गया। अतः इस संदर्भ में इस आदेश के तहत सभी शिक्षकों को चयन एवं प्रोन्नत का लाभ मिलते रहेगा यह सूच्य है कि वर्ष 2002 में एक शासनादेश के अंतर्गत किसी भी साधारण वेतनमान में 10 वर्ष की सेवा करने के बाद चयन वेतनमान और उसके पश्चात 12 वर्ष की सेवा करने पर प्रोन्नत वेतनमान का शासनादेश पारित किया गया था जिसके तहत लोगों को लाभ दिया जा रहा था। पूर्व जिला मंत्री राज कुमुद पाठक द्वारा लगातार इस मामले में प्रयास किया जा रहा था और आखिर में इसमें सफलता प्राप्त हुई। विभिन्न शिक्षकों द्वारा उन्हें बधाई संदेश दिए जा रहे हैं।