रामनगर के ढेला में हुआ मां मुझे टैगोर बना दे नाटक का मंचन

समाचार शगुन हल्द्वानी उत्तराखंड 

रामनगर के राजकीय इंटर कालेज ढेला में आज मां मुझे टैगोर बना दे नाटक का मंचन हुआ।नाटक का मंचन जम्मू कश्मीर से आए थियेटर एक्टिविस्ट लकीजी गुप्ता द्वारा किया गया। लकीजी गुप्ता का यह सोलो प्रदर्शन ‘माँ मुझे टैगोर बना दे’ चौदह वर्षों से चल रहा है, जिसने पूरे देश में अब तक 1500 से अधिक शो हो चुके हैं। “माँ मुझे टैगोर बना दे” पंजाबी कहानीकार मोहन भंडारी जी की कहानी से प्रेरित एकल नाटक है। नाटक गांव के एक छोटे से बच्चे की कहानी पर आधारित है जो पढ़ने में बहुत अच्छा है, कविता कहानियाँ लिखता है।बालक जो टैगोर से प्रेरित है और उसे लगता है वो एक दिन टैगोर जैसा बनेगा। इस लड़के के पिता मजदूरी का काम करते हैं, घर की परिस्तिथि ठीक नहीं है पर बालक कभी हार नहीं मानता, अक्सर पिता जी को कहता है मैं पढ़ाई करके एक दिन सब ठीक कर दूंगा पर दुर्भाग्य से जब यह लड़का 12 का इम्तिहान दे रहा होता है इसके पिता जी दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है ।बालक परीक्षा छोड़ देता है और अपने पिता जी की तरह मजदूरी करने पर विवश हो जाता है।
मजदूरी करते हुऐ जब भी यह लड़का किसी स्कूल जाते हुऐ बच्चे को देखता है तो इसके मन में फ़िर से पढ़ाई करने की इच्छा हो जाती है, काम करने के दौरान फ़िर परीक्षा देता है और अच्छे नंबरों से पास हो जाता है। नाटक के अनंत में बालक कहता है की अब वो टैगोर नहीं बनेगा अपने गॉव जायेगा,गांव के बच्चों को पढ़ा उन्हें टैगोर जैसा बनने की प्रेरणा देगा।

हास्य के साथ साथ भावुक कर देने वाला यह नाटक ने पूरे समय अपने दर्शकों को बांधे रखा।अपने बारे में जानकारी देते हुए लकी गुप्ता ने बताया कि उनकी थिएटर यात्रा 2003 में जम्मू से शुरू हुई। जहां उन्होंने एक अभिनेता के रूप में विभिन्न समूहों और निर्देशकों के साथ काम किया। इन वर्षों में, बीस से अधिक नाटकों में अभिनय किया। दस से अधिक मंच उत्पादनों का निर्देशन किया।पूरे देश में पंद्रह वर्षों से बच्चों के साथ काम किया।सौ से अधिक बच्चों की कार्यशालाओं का आयोजन किया। पच्चीस से अधिक बच्चों के नाटकों का निर्देशन किया। 2010 से उन्होंने एक सोलो अभिनेता के रूप में प्रदर्शन करना शुरू किया और पांच सोलो शो का निर्माण किया। मेरा सोलो प्रदर्शन ‘माँ मुझे टैगोर बना दे’ चौदह वर्षों से चल रहा है, जिसने पूरे देश में अपने 1500वें शो का आयोजन किया। इस यात्रा में मैंने: छह लाख किलोमीटर से अधिक यात्रा की। 800 शहरों और कस्बों में प्रदर्शन किया। 5 राज्यों में 50 लाख से अधिक छात्रों के साथ संपर्क किया। लगभग सभी राज्यों में प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रधानाचार्य श्री राम यादव,नवेंदु मठपाल,हरीश कुमार, महेंद्र आर्य, शैलेंद्र भट्ट, बालकृष्ण चंद, संत सिंह, प्रदीप शर्मा, दिनेश निखुरपा, नरेश कुमार, पीयूष शर्मा आदि मौजूद थे।

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