रुद्रपुर के नवोदय विद्यालय में सिनेमा के माध्यम से बच्चों ने जाना आजादी के आंदोलन के बारे में

समाचार शगुन उत्तराखंड 

रचनात्मक शिक्षक मंडल द्वारा आजादी के आंदोलन के बारे में स्कूली बच्चों को जानकारी देने के अभियान के तहत आज पीएमश्री नवोदय विद्यालय रुद्रपुर में बच्चों को सिनेमा के माध्यम से आजादी के आंदोलन के बाबत जानकारी दी गई।।जश्न ए आजादी के तहत हुए इस कार्यक्रम
की शुरुआत 1857 के विद्रोह के क्रांतिकारी अज़ीमुल्ला खां द्वारा लिखे गए प्रयाण गीत हम हैं इसके मालिक ,हिंदुस्तान हमारा एवम प्रतापसिंह बोरा द्वारा 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौर में लिखे गए गीत उठो, हिटो, ददा भुलियो से हुई।उसके पश्चात शिक्षक मंडल संयोजक नवेंदु मठपाल द्वारा कुली बेगार आंदोलन पर बातचीत रखते हुए बताया कि 14 जनवरी, 1921 को उत्तरायणी पर्व के अवसर पर कुली बेगार आन्दोलन की शुरुआत हुई, इस आन्दोलन में आम आदमी की सहभागिता रही, अलग-अलग गांवों से आये लोगों के हुजूम ने इसे एक विशाल प्रदर्शन में बदल दिया। सरयू और गोमती के संगम (बगड़) के मैदान से इस आन्दोलन का उदघोष हुआ। इस आन्दोलन के शुरू होने से पहले ही जिलाधिकारी द्वारा पं० हरगोबिन्द पंत, लाला चिरंजीलाल और बद्री दत्त पाण्डे को नोटिस थमा दिया लेकिन इसका कोई असर उनपर नहीं हुआ, उपस्थित जनसमूह ने सबसे 40 हजार लोगों का जुलूस सरयू बगड़ की ओर चल पड़ा, जुलूस में सबसे आगे एक झंडा था, जिसमें लिखा था “कुली बेगार बन्द करो”, इसके बाद सरयू मैदान में एक सभा हुई, इस सभा को सम्बोधित करते हुये बद्रीदत्त पाण्डे जी ने कहा “पवित्र सरयू का जल लेकर बागनाथ मंदिर को साक्षी मानकर प्रतिज्ञा करो कि आज से कुली उतार, कुली बेगार, बरदायिस नहीं देंगे।” सभी लोगों ने यह शपथ ली और गांवों के प्रधान अपने साथ कुली रजिस्टर लेकर आये थे, इन कुली रजिस्टरों को फाड़कर संगम में प्रवाहित कर दिया।


इस सफल आंदोलन के बाद जनता ने बद्री दत्त पाण्डे जी को कुमाऊं केसरी की उपाधि दी। इसकी परिणिति यह हुई कि सरकार ने सदन में एक विधेयक लाकर इस प्रथा को समाप्त कर दिया। इस आंदोलन से महात्मा गांधी बहुत प्रभावित हुये और स्वयं बागेश्वर आये और चनौंदा में गांधी आश्रम की स्थापना की। कार्यक्रम के दौरान कुली बेगार आंदोलन के साथ साथ आजादी के आंदोलन पर केंद्रित डॉक्युमेंट्री भी देखी गई।बच्चों ने रिचर्ड एडिबारा निर्देशित गांधी फिल्म देखते हुए गांधी के जीवन और आजादी के आंदोलन में उनकी भूमिका को भी समझा।इस मौके पर प्रधानाचार्य कंचन जोशी,मोहन सुयाल,शाइस्ता अहमद,संजीव कुमार ,विनीत मिश्रा,वन्दना नेगी, के एस रावत, समेत लगभग 500 बच्चे मौजूद रहे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here