रामनगर के ढेला में 117वीं जयंती पर याद किए गए भगत सिंह

समाचार शगुन उत्तराखंड 

शहीद ए आजम भगत सिंह की 117 वीं जयंती की मौके पर रामनगर के राजकीय इंटर कॉलेज ढेला में उन्हें विभिन्न कार्यक्रमों की माध्यम से याद किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत प्रातः कालीन सभा में भगत सिंह के चित्र पर माल्यार्पण से हुई ।उसके पश्चात कोमल सत्यवली, खुशी बिष्ट, भावना नेगी, की टीम द्वारा द्वारा मेरा रंग दे बसंती चोला और सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है गीत प्रस्तुत किया गया। अपनी बातचीत रखते हुए अंग्रेजी प्रवक्ता नवेंदु मठपाल ने कहा भगत सिंह मात्र 18 वर्ष की उम्र में 1925 में लाहौर में गठित नौजवान भारत सभा की महासचिव बने और 23 मार्च 1931 को करीब 2 साल जेल में गुजारने के बाद अपने साथियों के साथ फांसी के फंदे पर चढ़ गए। इस छोटी सी उम्र में राष्ट्रीय स्तर पर क्रांतिकारी गतिविधियां संगठित करने की साथ-साथ उन्होंने तमाम विषयों पर इतना कुछ पढ़ा लिखा, सोचकर अचंभा होता है। आज वक्त की जरूरत है कि हम भगत सिंह की विचारों को आगे बढ़ाएं और उनके सपनों का भारत बनाने के लिए प्रयास करें। इस मौके पर जी विज्ञान प्रवक्ता सी पी खाती के दिशा निर्देशन में एक सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया जिसके बहाने बच्चों ने भगत सिंह के जीवन उनके गतिविधियों और उनके साहित्य की जानकारी ली। कला शिक्षक प्रदीप शर्मा के दिशा निर्देशन में जूनियर कक्षा के बच्चों ने भगत सिंह का चित्र बनाया जबकि सीनियर कक्षा के बच्चों ने उनके विचारों से संबंधित पोस्टर का निर्माण किया। सौरभ शर्मा सुमन आर्य, गीतांजलि पंचवाल, रोशनी ने भगतसिंह सिंह के जीवन पर एक नाटक का मंचन किया। करन सिंह रावत, निखिलेश, विवेक, अंकित, मनीषा समेत अन्य बच्चों ने भगत सिंह के लेख अछूत समस्या, विद्यार्थी और राजनीति, बम का दर्शन का वाचन किया। नीरज बिष्ट ने भगत सिंह के प्रसिद्ध लेख मैं नास्तिक क्यों हूं का वाचन किया। इस मौके पर बच्चों को भगत सिंह के जीवन की बारे में जानकारी देने वाली फिल्में भी दिखाई गई ।इस मौके पर प्रधानाचार्य श्रीराम यादव, मनोज जोशी, सीपी खाती, नवेंदु मठपाल, हरीश चंद्र संत सिंह, शैलेंद्र भट्ट, दिनेश निखुरपा, महेंद्र आर्य, प्रदीप शर्मा, बालकृष्ण चंद, संजीव कुमार, उषा पवार, नरेश कुमार, पदमा आदि मौजूद रहे।

 

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