समाचार शगुन उत्तराखंड
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सावित्रीबाई फुले सांयकालीन स्कूल नगला में हुए कार्यक्रम में महिलाओं से अपने बेहतरी के मुद्दों पर एकजुटता का आह्वान किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत इसलिए राह संघर्ष की हम चुनें और अन्य महिला संघर्षों के गीत से हुई।उपस्थित समुदाय को संबोधित करते हुए स्कूल संचालिका सविता ने कहा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत 1900 के दशक में हुई थी। 1908 में, 15,000 महिलाओं ने न्यूयॉर्क शहर में बेहतर कामकाजी परिस्थिति, उचित वेतन और वोट देने के अधिकार की मांग करते हुए एक मार्च निकाला। जिसके बाद पहला अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 19 मार्च 1911 को ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में मनाया गया था। लेकिन 8 मार्च 1917 को रूसी महिलाओं के हड़ताल के बाद महिला दिवस की तारीख को बदलकर 8 मार्च कर दिया गया। ।अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोशिएशन, एपवा की संयोजक विमला रौथाण ने कहा बड़ी बड़ी घोषणाओं के बाद भी आजादी के इतने सालों बाद भी महिलाओं की स्थिति में कोई खाश सुधार नहीं हुआ।महिलाओं पर हिंसा आज भी बदस्तूर जारी है जिसका संगठित हो करके ही मुकाबला किया जा सकता है।आज हमें समाज में सम्प्रदायिक विभाजन कर रही ताकतों का भी मुकाबला करना होगा। महिलाओं के खिलाफ घर से लेकर कार्यस्थल तक हो रही हिंसा के खिलाफ मुखर हो सामने आना ही होगा। इस मौके पर शोभा देवी, उर्मिला, मिस्कीन, नेहा, पूनम, गुड्डी देवी, संगीता देवी, पूजा, प्रेमा देवी, रीता देवी, धीरज कुमार, विशाल गौतम मौजूद रहे।