गोल्डन कार्ड का कर्मचारियों को नहीं मिल रहा लाभ

समाचार शगुन हल्द्वानी उत्तराखंड 

उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारियों के लिए सरकार द्वारा सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में मुफ्त ईलाज की सुविधा हेतु प्रत्येक माह वेतन से नियत अंशदान लेकर गोल्डन कार्ड की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी और कर्मचारी के वेतन से प्रत्येक माह लगातार कटौती तो की जा रही है परन्तु जब कर्मचारी अस्पतालों में उक्त सुविधा के लिए आवेदन कर रहे हैं तो अपने को ठगा सा महसूस पा रहे हैं।

शिक्षक नेता मनोज तिवारी।

पूरे प्रकरण को देखते हुए इसमें शासन एवं पूरे तंत्रकी घोर लापरवाही सामने आ रही है क्योंकि जब अस्पतालों में मरीज उक्त सुविधा हेतु आवेदन कर रहे हैं तो पता चला कि शासन स्तर से एसजीएचएस की साईट को खोला ही नहीं गया है। तंत्र की इस घोर लापरवाही की वजह से मरीज दर दर भटकने को मजबूर हैं। ताजा मामला नैनीताल जनपद के ओखलकान्डा विकास खंड में कार्यरत शिक्षिका के पति का है, उनके पति बीती 10 दिसम्बर को अपने रिश्तेदार की मृत्यु होने पर उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होने रानीबाग चित्रशिला घाट अपने छोटे भाई के साथ बाईक से जा रहे थे और दोनों ने हैल्मेट भी पहना हुआ था। अचानक से बाईक का सन्तुलन बिगड़ने से बाईक रपट गई और दोनों को गम्भीर चोट आ गई। आनन फानन में उन्हें बेस हास्पिटल में भर्ती कराया गया और वहां से उन्हें सुशीला तिवारी अस्पताल रैफर कर दिया गया परन्तु वहां पर भी उचित ईलाज न मिल पाने के कारण उन्हें राम मूर्ति अस्पताल रैफर कर दिया गया। वहां पहुंचकर जब ईलाज हेतु गोल्डन कार्ड लगाया गया तो अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि उत्तराखंड का गोल्डन कार्ड नहीं चल रहा है। अभी तक शिक्षिका के पति के ईलाज अत्यधिक धनराशि व्यय हो चुकी है और अभी कोई भरोसा नहीं कि कितना लम्बा ईलाज चलेगा और कितनी धनराशि व्यय होगी। उक्त समस्या के समाधान के लिए उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संगठन ओखलकान्डा के ब्लॉक अध्यक्ष गोपाल बिष्ट ने राज्य प्राथमिक शिक्षक संगठन के प्रान्तीय सदस्य एवं नैनीताल जनपद के पूर्व अध्यक्ष मनोज तिवारी से सम्पर्क किया और उनको पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। तिवारी ने इस सम्बन्ध में शासन एवं डी जी हैल्थ तक समस्या को उठाया परन्तु इसका उचित समाधान अभी तक नहीं निकल पाया। इसी तरह का एक और मामला राममूर्ति अस्पताल में और देखने को मिला जिसमें ज्योलिकोट निवासी कर्मचारी हार्ट पैशैन्ट हैं और उनको अस्पताल प्रशासन ने लगभग 4 से 5 लाख तक का व्यय बताया है। इसके अलावा और भी चार पांच लोग गोल्डन कार्ड की समस्या से जूझ रहे हैं। इसके साथ ही अल्मोड़ा से भी इसी प्रकार का एक प्रकरण सामने आया है। गोल्डन कार्ड के नाम से सरकार द्वारा की जा रही मासिक कटौती और आवश्यकता पड़ने पर संबंधित को इलाज के नाम पर टेंशन मिलने की इस पूरी कवायद से प्रदेश के सभी गोल्डन कार्ड धारियों का धैर्य अब जवाब देता जा रहा है। तिवारी एवं बिष्ट ने संयुक्त बयान में कहा कि यदि सरकार के स्तर से जल्द ही इसे दुरुस्त नहीं किया गया तो संगठन इसके लिए धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होगा और आवश्यकता पड़ने पर न्यायालय में जनहित याचिका के लिए भी बाध्य होना पड़ेगा ।

 

 

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