रोडवेज कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार कर प्रदर्शन किया, कहा-500 बसें नीलाम होने के बाद सड़क पर चलने के लिए उपलब्ध नहीं है निगम के पास वाहन

समाचार शगुन हल्द्वानी उत्तराखंड

उत्तराखंड परिवहन निगम रोडवेज कर्मचारियों ने संयुक्त मोर्चा के बैनर तले भवाली बस स्टेशन में बुधवार को विभिन्न मांगों को लेकर
धरना प्रदर्शन किया। उन्होंने 10 वर्षों से कार्यरत संविदा विशेष श्रेणी कार्यशाला तकनीकी कर्मचारियों को तत्काल नियमित किये जाने, निजी बसों को राष्ट्रीयकृत राजमार्गों पर परमिट देने की अधिसूचना तत्काल रद्द करने, परिवहन निगम बस बेड में 500 नयी बसें तत्काल खरीदने,  नैनीताल बस स्टेशन का स्वामित्व तत्काल परिवहन निगम देने, उत्तराखंड के विभिन्न शहरों में चल रहे डग्गामार वाहनों को तत्काल बंद किए जाने जैसी मांगें उठाईं। उन्होंने कहा कि इन मांगों को लेकर रोडवेज कर्मचारी 48 घंटे के कार्य बहिष्कार पर हैं। उसके पश्चात 5 नवंबर से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार चक्का जाम का ऐलान किया। उत्तराखंड परिवहन निगम (यूटीसी) कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने निगम प्रबंधन पर घोर लापरवाही और उदासीनता का आरोप लगाया है। जिसके कारण निजी ऑपरेटरों का सिंडिकेट निगम के हितों को नुकसान पहुंचा रहा है।‌ संयुक्त मोर्चा के कुमाऊं के संयोजक एलडी पालीवाल ने धरना को संबोधित करते हुए कहा कि यूटीसी के साथ-साथ नई दिल्ली में कश्मीरी गेट और आनंद विहार में निजी बसों को काउंटर आवंटित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि ये ऑपरेटर दिल्ली में एक यात्री से 2500 रुपये तक वसूल रहे है। उन्होंने कहा कि सरकार निजी ऑपरेटरों के लिए और अधिक रूट खोलने की योजना बना रही है। जिससे यूटीसी की आय में भारी गिरावट आएगी और सरकार को 200 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा वर्तमान में सरकार की लगभग 20 कल्याणकारी योजनाएं यूटीसी की बसों के माध्यम से संचालित की जा रही हैं। मोर्चे के संयोजक सतनाम सिंह ने कहा कि यूटीसी की स्थापना 2003 में हुई थी और उस समय इसमें 7,300 नियमित कर्मचारी और 950 बसें थीं निगम में अब करीब 2,000 नियमित, 3000 संविदा और 500 आउटसोर्स कर्मचारी हैं सरकार ने 15 से 18 साल से काम कर रहे कर्मचारियों को तत्काल नियमित किया जाए। निगम के नियमित कर्मचारियों की संख्या में भारी कमी आई है। कर्मचारी यूनियन के डिपो संयोजक रूप किशोर ने बताया कि निगम के बेड़े में अब केवल 800 बसें हैं और इनमें से लगभग 500 बसें जल्द ही नीलाम हो जाएंगी। पिछले आठ सालों में सरकार ने केवल 130 छोटी बसें खरीदी हैं जो अभी तक डिपो को प्राप्त नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि इस साल दिसंबर में दिल्ली सरकार द्वारा यूरो IV बसों को दी गई छूट समाप्त होने के बाद निगम के पास दिल्ली में परिचालन के लिए अनुबंधित सीएनजी चालित केवल 170 बसें ही रह जाएंगी। उन्होंने मांग की कि सरकार को यूटीसी को बचाने के लिए तुरंत 500 नई बसें खरीदनी चाहिए। दिनेश दुमका ने यूटीसी प्रबंधन पर फिजूलखर्ची का आरोप लगाते हुए कहा कि निगम मुख्यालय के लिए डेढ़ करोड़ रुपये का फर्नीचर खरीदा गया और मुख्यालय में नए निर्माण पर सात करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन निगम के पास सेवानिवृत्त कर्मचारियों की छह महीने की ग्रेच्युटी और कर्मचारियों के चार प्रतिशत महंगाई भत्ते (डीए) का भुगतान करने के लिए कोई बजट नहीं है। हेम बेलवाल ने कहा कि निगम प्रतिदिन लगभग 1.5 करोड़ रुपये कमा रहा है, जबकि इसका खर्च प्रतिदिन दो करोड़ रुपये है और यूटीसी लाभ कमाने के लिए कार्य योजना तैयार करने में विफल रहा है। आंदोलन को भारतीय मजदूर संघ की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लीला बोरा ने भी आंदोलन कर रहे कर्मचारियों को समर्थन दिया। इस मौके पर मंडलीय संयोजक एलडी पालीवाल, सतनाम सिंह, रूप किशोर सागर, हेम बेलवाल, दिनेश दुमका, अखिलेश जोशी, हरभजन सिंह, विमल कुमार, भूपेंद्र जीना, जावेद अली ,नरेश पाल, अरुणेंद्र प्रताप सिंह, कुंदन सिंह रौतेला, बीके रॉय, नरेंद्र सिंह, अभिजीत कुमार, मयंक मिश्रा, विद्यासागर आदि मौजूद थे। इधर हल्द्वानी में भी कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार किया। इससे बस संचालन प्रभावित रहा।

 

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