भाकपा-माले ने 56वां स्थापना दिवस मनाया, विपक्षी दलों के नेताओं की बिना शर्त रिहाई की मांग उठाई

समाचार शगुन हल्द्वानी उत्तराखंड 

नैनीताल जिले के लालकुआं में भाकपा (माले) का 56वां स्थापना दिवस आज सोमवार को कार्यकर्ताओं ने उत्साह के साथ मनाया। भाकपा माले की स्थापना 22 अप्रैल 1969 को हुई थी। इस दिन दुनिया की पहली समाजवादी क्रांति और पहले समाजवादी राज्य के महान शिल्पी कामरेड लेनिन का भी जन्मदिन है। भाकपा माले कामरेड लेनिन की क्रांतिकारी स्प्रिट को बुलंद करते हुए एक शोषणमुक्त, युद्धविहीन दुनिया जिसमें मानवता सच्चे मायनों में आजाद हो, को बनाने के महान कम्युनिस्ट मिशन के प्रति स्वयं को पुनर्समर्पित करती है। कार्यक्रम की शुरुआत शहीदों और बिछड़े साथियों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ हुई। इस अवसर पर माले जिला सचिव डा.कैलाश पाण्डेय ने कहा कि हम अपना स्थापना दिवस बेहद महत्वपूर्ण लोकसभा चुनावों के बीच मना रहे हैं। इस अवसर पर भारत के सभी मतदाताओं से यह अपील करते हैं कि वे वोट देने के अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग संवैधानिक बुनियाद और हमारे गणतंत्र के संसदीय व संघीय ढांचे को बढ़ते फांसीवादी हमले से बचाने के लिए करें। उन्होंने कहा कि अपने जन्म से ही भाकपा (माले) ने जनता के एक सच्चे लोकतंत्र में भारत का रूपांतरण और एक समतामूलक सामाजिक विन्यास की स्थापना करने के लिए निरंतर संघर्ष किया है। मोदी सरकार का तीसरी बार फिर सत्ता में आना इस क्रांतिकारी उद्देश्य की राह में विनाशकारी बाधा साबित होगा, इसलिए इस सरकार की विदाई जरूरी है। माले के वरिष्ठ नेता बहादुर सिंह जंगी ने कहा कि पार्टी स्थापना दिवस के अवसर पर पार्टी के संस्थापक महासचिव कामरेड चारु मजूमदार और उनके बाद बने महासचिवों कामरेड जौहर और कामरेड विनोद मिश्रा, जिन्होंने उन्नीस सौ सत्तर दशक की शुरूआत में मिले धक्के के बाद पार्टी को पुर्नगठित किया एवं नेतृत्व दिया, को पूर्ण सम्मान के साथ क्रांतिकारी श्रद्धांजलि देते हैं। उन्होंने नागभूषण पटनायक, रामनरेश राम, अनिल बरुआ, महेन्द्र सिंह समेत सभी शहीदों एवं नेतृत्वकारी साथियों को याद किया।  इन्होंने पार्टी, जनता और क्रांति के लिए अपना सर्वस्व कुर्बान कर दिया। उन्होंने कहा कि हमारा उन साथियों को भी सलाम जो आज राज्य दमन के कारण भारत की विभिन्न जेलों में बंद हैं। उन्होंने राजनैतिक बन्दियों एवं विपक्षी दलों के नेताओं की बिना शर्त तत्काल रिहाई की मांग की। समारोह में मुख्य रूप से विमला रौथाण, भुवन जोशी, पुष्कर दुबड़िया, ललित मटियाली, नैन सिंह कोरंगा, धीरज कुमार, बिशन दत्त जोशी, निर्मला शाही, त्रिलोक राम, ललित जोशी, स्वरूप सिंह दानू, मनोज, मदन धामी, शिव सिंह आदि मौजूद थे।

 

 

 

 

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