समाचार शगुन हल्द्वानी उत्तराखंड
नैनीताल जिले के हल्द्वानी में कई घरों पर प्रशासन ने लाल निशान लगाए हैं, इससे आम जनता, व्यापारी वर्ग आदि के बीच डर और असुरक्षा का माहौल बना है। यह एक सोची-समझी रणनीति लगती है जिसके ज़रिए भारतीय जनता पार्टी की सरकार प्रशासनिक तंत्र का दुरुपयोग कर जनता पर मानसिक दबाव बना रही है। यह बात हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश ने कही। उन्होंने बयान जारी कर कहा है कि यह सिर्फ घरों पर निशान नहीं हैं, बल्कि हज़ारों लोगों की उम्मीदों, सपनों और खून-पसीने से बने आशियानों पर हमला है। एक घर को बनाने में व्यक्ति की पूरी जिंदगी लग जाती है वह खून पसीने की कमाई लगा कर अपने और अपने परिवार के लिए एक सुरक्षित स्थान तैयार करता है। ऐसे में इन लाल निशानों के जरिए प्रशासन क्या संदेश देना चाहता है। प्रशासन 1960 के पुराने नक्शों का हवाला दे रहा है और 10 मीटर चौड़े नाले की बात कर रहा है। वर्ष 1960 में तो हल्द्वानी का अधिकांश हिस्सा जंगल था क्या अब सरकार हल्द्वानी को फिर से जंगल में तब्दील करने की योजना बना रही है। आज जिन मकानों पर सवाल उठाए जा रहे हैं, वहां लोग आजादी के समय से रह रहे हैं। कुछ स्थानों पर तो दूसरी और तीसरी पीढ़ियां बस चुकी हैं। अब अचानक इस तरह का अमानवीय रवैया अपनाना दर्शाता है कि यह पूरी प्रक्रिया न सिर्फ़ असंवेदनशील है, बल्कि साज़िशपूर्ण भी प्रतीत होती है। विधायक सुमित हृदयेश ने स्पष्ट किया कि यह अन्याय किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जाएगा। वह एक जनप्रतिनिधि ही नहीं, बल्कि हल्द्वानी के बेटे भी हैं। हर मंच से इस अन्याय का विरोध करेंगे।आगामी 19 अगस्त से शुरू होने वाले उत्तराखंड विधानसभा सत्र में में इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से सदन के पटल पर उठाया जाएगा। भाजपा सरकार एवं प्रशासन को जनता के सवालों को लेकर कठघरे में खड़ा किया जाएगा। उनकी हल्द्वानी की जनता से अपील है कि इस समय को कभी न भूलें। यह आपकी अस्मिता, आपके अधिकार और आपके सपनों का प्रश्न है। हम सब मिलकर इस अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे।