समाचार शगुन हल्द्वानी उत्तराखंड
नैनीताल जिले में रिश्वतखोरी के मामले में पकड़े गए राजपत्रित राज्य कर अधिकारी उम्मेद सिंह बिष्ट को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम विशेष न्यायाधीश ने आरोप से बरी कर दिया है ।अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध संबंधी कोई ठोस साक्ष्य पेश नहीं कर पाया। इस मामले में रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए कर्मचारी दीपक मेहता को जांच में दोषी पाया गया है। वर्ष 2023 में विजिलेंस को जीएसटी का रजिस्ट्रेशन कराने के एवज में रिश्वत मांगने की शिकायत मिली थी। विभाग की जांच में पीड़ित की शिकायत सही निकली। इसके बाद विजिलेंस ने पांच सितंबर 2023 को रिश्वत मांग रहे डाटा इंट्री आपरेटर दीपक को तीन हजार की रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में उसने वाणिज्य कर विभाग के ही राज्य कर अधिकारी उम्मेद सिह के कहने पर रिश्वत लेना बताया था। इस पर विजिलेंस ने उम्मेद सिंह को गिरफ्तार कर लिया। उम्मेद बाद में हाईकोर्ट से जमानत पर रिहा हुए। राज्य कर अधिकारी ने कार्रवाई को गलत बताते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम न्यायाधीश की अदालत में प्रार्थना पत्र सौंपा। जांच में पता चला कि उम्मेद न तो मौके पर पाए गए और न ही उनके पास रिश्वत मिली। केवल दीपक की बात को आरोप तय करने के लिए पर्याप्त नहीं माना जा सकता। इन सभी तथ्यों को देखते हुए न्यायालय ने पाया कि बिष्ट के खिलाफ मुकदमा चलाने का कोई पर्याप्त आधार नहीं है,और उन्हें बरी किया जाता है।