समाचार शगुन उत्तराखंड
प्रकृति और पर्यावरण से जुड़ी 15 संस्थाओं की संयुक्त पहल पर आज से उत्तराखंड स्तर पर दो दिवसीय पक्षी गणना कार्यक्रम शुरू हो गया है। जिम कार्बेट नेशनल पार्क के ढेला रेंज में नेचर साइंस इनिशिएटिव फॉर स्कूल्स के साथ मिलकर रामनगर के राजकीय इंटर कॉलेज ढेला के 30 बच्चों ने इस कार्यक्रम में भागीदारी की। प्रतिभागी बच्चों ने उनकी गणना करते हुए पक्षी अवलोकन का भरपूर आनंद लेने के साथ उनके बारे में जाना।
पक्षी विशेषज्ञ मनोज शर्मा ने बच्चों को बताया कि कार्बेट क्षेत्र में पक्षियों की करीब 600 प्रजातियां पायी जाती हैं। इसमें 350 के आसपास स्थानीय हैं और 250 पक्षी प्रवासी पक्षी हैं। विशेषज्ञों ने बच्चों को बताया कि पक्षी विशेष रूप से जाड़ों के मौसम में हजारों किलोमीटर की यात्रा कर यहां पहुंचते हैं। गर्मी की शुरुआत होते ही अपने गृह क्षेत्रों को चले जाते हैं। प्रवासी पक्षियों में साइबेरियन पक्षी, एशियन पैराडाइज, स्केरलेट मिनिवेट्ट, स्विफ्ट हैं। इसे लकी बर्ड स्थानीय भाषा में गोताई कहते हैं। यह स्थानीय परिवेश के इतने अनुकूल हो चुकी है कि यह अब स्थायी रूप से यहीं रहने लगी है। अनिल चौधरी ने बताया कार्बेट की भौगोलिक सुधार के चलते समाप्त हो चुके गिद्ध फिर से दिखाई देने लगे हैं। वर्तमान में ढेला रेंज में ही डेढ़ सौ से अधिक गिद्ध पाये जाते हैं।पार्क के अलग अलग क्षेत्रों में 3 अन्य दुर्लभ पक्षी दिखे, जिसमे साइबेरिया रूबी थ्रोट, सिल्वर इयर मेसिया, चाइनीज रूबी थ्रोट पक्षी हैं, जो लेह लद्दाख में पाई जाती है. यहां मुनिया, ग्रीन वार्बलर, ग्रीन बी ईटर, फ्लाई कैचर भी पाई जाती हैं।तय कार्यक्रम के तहत बच्चों ने दिखने वाले पक्षियों से संबंधित जानकारियां इकट्ठी की एवं उनको ई बर्ड ऐप में नामांकित भी किया। इस मौके पर प्रधानाचार्य राशिद हुसैन, नवेंदु मठपाल, फॉरेस्टर नवीन पपने, यश, सीपी खाती, बालकृष्ण चंद , रीना, कोमल सत्यवली मौजूद रहे।