जिस तेजी से पर्यावरण का शोषण हो रहा है, उसके दुष्परिणाम आयेंगे सामने, पृथ्वी पर न तो पीने के लिए जल बचेगा और न ही सांस लेने को शुद्ध वायु

समाचार शगुन, हल्द्वानी उत्तराखंड 

रुद्रपुर के गांधी पार्क में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का भव्य आयोजन किया जा रहा है। भगवान की दिव्य लीलाओं व उनके भीतर छिपे हुए गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों को कथा प्रसंग व सुमधुर भजन संकीर्तन के माध्यम से उजागर किया जा रहा है। पर्यावरण असंतुलन की समस्या को उठाते हुए साध्वी कांलिदी भारती ने कहा कि समाज मानव मन की अभिव्यक्ति है। जब-जब संतों के आदर्शों का परित्याग करते हुए मानव भोग वासना की ओर प्रवृत्त हुआ तब तब समाज विषाक्त होता। जरुरत मन को प्रदूषण से मुक्त करने की है। जब मन का प्रदूषण समाप्त होगा तब बाहरी पर्यावरण स्वतः ही स्वच्छ हो जाएगा। हमें आवश्यकताओं और लालसाओं में भेद करना होगा। जितनी लालसाएं बढ़ेंगी उतना ही प्रकृति का दोहन होगा। क्या हम आने वाली पीढ़ियों को ऐसी दुनियां देना चाहेंगे? जिसकी हवाओं में जहर घुला हो, जहां धूल और बीमारियां आम बात हों। संभवतः कोई भी माता-पिता अपने बच्चों को ऐसी विभीषक दुनियां नहीं देना चाहेगा। यदि हमें एक स्वच्छ व सुंदर समाज का निर्माण करना है तो भारतीय संस्कृति जीवन दृष्टि को पुनर्जीवित करना होगा और उसे सक्रिय रूप से लागू करना होगा। इसी भारत भूमि के संतों ने हमें चेताया कि भूमि के सुखों को भोगो तो सही परन्तु त्यागपूर्वक, यदि त्यागपूर्वक नहीं भोगेंगे तो भोगने की क्षमता और सामर्थ्य नहीं रहेगा। संतों के बताए मार्ग पर चलकर हम पृथ्वी को रसातल के मार्ग पर भेजने से बचा सकते हैं। साध्वी ने इस गंभीर मुद्दे पर विचार देते हुए कहा कि आज का आधुनिक मानव जिस गति से पर्यावरण का शोषण कर रहा है उसके परिणाम स्वरूप आने वाले कुछ समय में पृथ्वी पर न तो पीने के लिए स्वच्छ जल बचेगा और न ही सांस लेने के लिए स्वच्छ वायु। पृथ्वी के हाहाकार से प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली क्षति का स्तर भी बढ़ जाएगा। इसलिए यदि समय रहते इस दिशा में पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए तो मानव अपने भविष्य के लिए स्वयं जिम्मेवार होगा। वर्तमान समय में यदि कोई आपदा मानव जीवन को खत्म करने का प्रयत्न कर रही है तो वह है पर्यावरण में बढ़ रहा प्रदूषण। इसमें तेजी से हो रही बढ़ोतरी के कारण पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है व समुद्र के पानी का स्तर ऊपर उठता जा रहा है। यदि यह ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन पृथ्वी के अस्तित्व को खतरा हो जाएगा। हमारे पर्यावरण में पूरी तरह से शहर घुल चुका है। इसका जिम्मेवार स्वयं मानव ही है। जिसकी विकासवादी सोच आज मानव जाति के लिए घातक सिद्ध हो रही है। इसी सोच के कारण ही मानव प्रकृति के प्रति अपने कर्त्तव्यों को भूलता जा रहा है। वह संवैधनिक व सामाजिक नियमों की धज्जियां उड़ा कर वातावरण में शहर घोलता जा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने के कारण सूर्य की भयानक किरणों से हमारा बचाव करने वाली ओजोन परत में भी छिद्र हो चुका है। जिस कारण आज मानव भयानक व नामुराद बीमारियों से ग्रसित है। आज की कथा में पर्यावरण जागरुकता संबंध एक विशेष स्टाल लगाया गया। इस दौरान भक्तों को पौधे वितरित किए गए। उल्लेखनीय है कि दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा प्रस्तुत इस कथा में प्रतिदिन सामाजिक बुराईयों व समस्याओं के प्रति विश्लेषणात्मिक विचार प्रस्तुत किए जा रहे हैं। श्री मद्भागवत की कथा में भगवान श्री कृष्ण की नटखट व भाव विभोर करने वाली लीलाओं को कथा प्रसंग व मधुर संकीर्तन के माध्यम से श्रवण कर भक्त मंत्रमुग्ध हो झूमने लगे।‌ कथा के उचित प्रबंध व सुव्यवस्था के कारण पंडाल मानो वृंदावन की छटा बिखेर रहा था। पूजन में रामचंद्र सिंघल, मनीष अग्रवाल, विजय गर्ग, विष्णु बंसल, स्नेह पाल, वीरेंद्र जिंदल, राम उजागर सिंह, पूर्व दर्जा राज्य मंत्री सुरेश परिहार, समाजसेवी जेबी सिंह, नगर निगम के नगर आयुक्त नरेश दुर्गापाल, एडवोकेट दिवाकर पांडे, राकेश सिंह, विवेक सक्सेना, अभिषेक सक्सेना, सुशील गाबा, एडवोकेट नवीन ठुकराल, संजय ठुकराल, सुल्तान सिंह, देवी लाल चौधरी, निशांत राणा समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।

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