अधिवक्ताओं ने डीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन, उठाई यह मांगें

समाचार शगुन उत्तराखंड 

आज शनिवार को अल्मोड़ा में अधिवक्ताओं ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर उत्तराखण्ड सरकार द्वारा लागू किए गए यूसीसी के अंतर्गत हो रहे आनलाईन विवाह व वसीयत पंजीकरण को सब रजिस्ट्रार कार्यालय से आफलाईन किए जाने, इसमें अधिवक्ताओं की सहभागिता सुनिश्चित किए जाने व राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित आनलाईन भूमि रजिस्ट्री के निर्णय को वापस लिए जाने की मांग की है। अधिवक्ताओं ने कहा है कि उत्तराखण्ड सरकार द्वारा बीते जनवरी माह में यूसीसी लागू कर विवाह व वसीयत पंजीकरण यूसीसी पोर्टल के माध्यम से आनलाईन कर दिया गया जिससे अधिवक्ताओं के व्यवसाय में विपरीत प्रभाव पड़ रहा है इससे तहसील व जिला स्तर पर कार्य कर रहे अधिकांश अधिवक्ताओं के समक्ष आजीविका का संकट उत्पन्न हो गया है साथ ही अधिवक्ता समाज के अभिन्न अंग दस्तावेज लेखक, टाइपिस्ट, अराजनवीस के कार्य व्यवसाय पर भी बेहद नकारात्मक प्रभाव हुआ है। गौरतलब है कि बीते दिवस हुई कैबिनेट मीटिंग में भूमि/संपत्ति की रजिस्ट्री प्रक्रिया को भी आनलाईन करने की कार्यवाही को मंजूरी प्रदान की गई है अधिवक्ताओं का कहना है कि रजिस्ट्री वर्चुअल होने पर न केवल अधिवक्तागण का अहित होगा अपितु आम जनमानस का भी अहित होगा क्योंकि वसीयत, भूमि/संपत्ति के रजिस्ट्रेशन में विधिक पहलू निहित होते हैं यह कार्य विधिक कार्य हैं और इनमें सीधे तौर पर विधि समुदाय की सहभागिता सुनिश्चित किया जाना आम जनमानस के हित में बेहद आवश्यक है भूमि/संपत्ति विक्रय के आनलाईन पंजीकरण से फर्जी रजिस्ट्री, भू-माफिया की मनमानी बढ़ने की संभावनाएं प्रबल होंगीं व सीधे सादे आम जन के हितों को नुकसान पहुंचेगा। बीते महीनों में अधिवक्तागण के विरोध के पश्चात राज्य सरकार द्वारा भूमि/संपत्ति की रजिस्ट्री प्रक्रिया को आंनलाईन नहीं किए जाने के संबंध में आश्वस्त कर अधिवक्तागण को विश्वास में लिया गया था। बीते दिवस इस संदर्भ में निर्णय लिए जाने से अधिवक्ताओं में आक्रोश व्याप्त है अधिवक्ताओं ने कहा है कि सरकार ने न केवल अधिवक्ता समुदाय के विश्वास को तोड़ा है अपितु इस संपूर्ण प्रक्रिया में निहित आम जनमानस के विधिक हितों को भी दरकिनार किया है। इसके अतिरिक्त अधिवक्ताओं ने ज्ञापन के माध्यम से कहा है कि राज्य सरकार के आश्वासन के विपरीत विवाह व वसीयत पंजीकरण अभी भी सब रजिस्ट्रार कार्यालय से आफलाईन नहीं हो पा रहे हैं जन सुविधा केंद्र (CSC centers) से ही आनलाईन हो रहे हैं उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि विवाह व वसीयत पंजीकरण की संपूर्ण प्रक्रिया में पूर्व की भांति अधिवक्ताओं की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित की जाय व भूमि/संपत्ति की आनलाईन रजिस्ट्री के निर्णय को अविलंब वापस लिया जाय। ज्ञापन भेजने वालों में बार एसोसिएशन उपाध्यक्ष कवीन्द्र पन्त, संप्रेक्षक चंदन बगडवाल, कार्यकारिणी सदस्य पल्लव घस्याल, रमाशंकर नैनवाल, सुनील कुमार ग्वाल, विवेक तिवारी, पूर्व अध्यक्ष भानु तिलारा, पूर्व अध्यक्ष चामू सिंह घस्याल, आजाद खान, केवल सती, हरीश लोहनी, दीपक कुमार जोशी, कुंदन सिंह भण्डारी, भवान राम आर्य, डां० निर्मला तिवारी, भगवती प्रसाद पांडे, मोहन सिंह बिष्ट, संजय विद्यार्थी, अजय सिंह मेहता, रविन्द्र सिंह बिष्ट, हृदयेश दीपाली, मनोज पंत, हीराबल्लभ नैनवाल, गोधन सिंह बिष्ट, रमेश उपाध्याय, त्रिभुवन पांडे, विनोद जोशी, अक्षय जोशी, मनोज बृजवाल, राजा हृदयेश अंडोला, निर्मल रावत, हिमांशु मेहता, भगवत सिंह मेर, धीरेश चंद्र जोशी, विभा पांडे, तुलसी जौहरी, अमिता चौधरी, आशना परवीन, गरिमा चिलवाल, चित्रा बिष्ट, कल्पना पांडे, विमला, गुलफ्शा मंजूर, चांदनी खान, भावना रावत, उषा बिष्ट, तारा बोरा, विद्या मेहरा, नीलम दानू, पूजा नेगी, संतोष कुमार पंत, मोहम्मद ईमरोज, पूर्व उपाध्यक्ष कुंदन लटवाल, पूर्व सचिव भुवन पांडे, डीडी शर्मा, नीरज जोशी, पूरन चंद्र लोहनी, सुनील कुमार, योगेश कुमार आर्या, प्रताप सिंह अधिकारी, हिमांक तिवारी, पारस नेगी, रितेश कुमार, दीपक नेगी, इंतिखाब आलम कुरैशी, बलवंत सिंह रौतेला, निखिल कुमार टमटा, प्रदीप सिंह नेगी, विरेंद्र सिंह सांगा, अविनाश अग्रवाल, विजय सिंह कठायत, सचिन सिंह कठायत, गणेश गोविंदपति मठपाल, अमित बिष्ट, अखिलेश टमटा, भगवती प्रसाद पंत, हरेंद्र सिंह मेहता, शुभम आर्या आदि शामिल रहे।

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