95वीं जयंती पर ढेला में याद किए गए दांडी मार्च के सत्याग्रही

समाचार शगुन हल्द्वानी उत्तराखंड 

ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ हुए दांडी मार्च की 95 वीं जयंती पर रामनगर के राजकीय इंटर कालेज ढेला में विभिन्न कार्यक्रम हुए।कार्यक्रम की शुरुआत गांधी के चित्र पर मालार्पण से हुई।तत्पश्चात आज के दिवस के महत्व को रेखांकित करते हुए अंग्रेजी प्रवक्ता नवेंदु मठपाल ने कहा दांडी मार्च, जिसे नमक मार्च और दांडी सत्याग्रह के नाम से भी जाना जाता है, गांधी के नेतृत्व में किया गया एक अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन था। इसे 12 मार्च, 1930 से 6 अप्रैल, 1930 तक नमक पर ब्रिटिश एकाधिकार के खिलाफ कर प्रतिरोध और अहिंसक विरोध के प्रत्यक्ष कार्रवाई अभियान के रूप में चलाया गया। गांधीजी ने 12 मार्च को साबरमती से अरब सागर (दांडी के तटीय शहर तक) तक 78 अनुयायियों के साथ 241 मील की यात्रा की, इस यात्रा का उद्देश्य गांधी और उनके समर्थकों द्वारा समुद्र के जल से नमक बनाकर ब्रिटिश नीति की उल्लंघन करना था। सविनय अवज्ञा आंदोलन संपूर्ण देश में फैल गया, जल्द ही लाखों भारतीय इसमें शामिल हो गए।जीवविज्ञान प्रवक्ता सी पी खाती ने कहा ब्रिटिश अधिकारियों ने 60,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया। 5 मई को गांधीजी के गिरफ्तार होने के बाद भी यह सत्याग्रह जारी रहा। गांधीजी को जनवरी 1931 में जेल से रिहा कर दिया गया। इसके बाद अंग्रेजों ने भारत को स्वायत्तता देने के बारे में विचार करना शुरू कर दिया था। सविनय अवज्ञा की सफलता के विश्वास को लेकर गांधी जी ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया जिसने अंग्रेजों को भारत छोड़ने को मजबूत होना पड़ा। इस मौके पर बच्चों को दांडी मार्च सत्याग्रह से संबंधित डाक्यूमेंट्री भी दिखाई गई। बच्चों में से आदित्य बोरा,दीक्षा बिष्ट,दिव्यांशी,विवेक फुलरा ने बातचीत रखी, कला शिक्षक प्रदीप शर्मा के दिशा निर्देशन में दिवस का चित्र भी बनाया। इस मौके पर प्रधानाचार्य श्रीराम यादव, सीपी खाती, नवेंदु मठपाल, संत सिंह, हरीश कुमार, महेंद्र आर्य, शैलेंद्र भट्ट, दिनेश निखुरपा, बालकृष्ण चन्द, सुभाष गोला, संजीव कुमार, उषा पवार, हेमलता जोशी आदि मौजूद रहे।

 

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