रामनगर: आजादी के आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली दुर्गा चरण बोहरा, दुर्गा भाभी को 25वीं पुण्यतिथि पर ढेला में याद किया गया

समाचार शगुन उत्तराखंड 

भारत की आजादी के आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली दुर्गा चरण बोहरा, दुर्गा भाभी को आज मंगलवार को उनकी 25वीं पुण्यतिथि रामनगर के राजकीय इंटर कालेज ढेला में विभिन्न कार्यक्रमों के साथ याद किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत दुर्गा भाभी के चित्र पर माल्यार्पण से हुई। अंग्रेजी प्रवक्ता नवेंदु मठपाल ने उनके जीवन के बारे में बताते हुए कहा कि वह सात अक्टूबर 1907 शहजादपुर गांव में पंडित बांके बिहारी के यहां जन्मी। पिता ने संन्यास ले लिया था, रिश्तेदारों ने दस साल की उम्र में
भगवती चरण बोहरा से शादी करा दी। बोहरा क्रांतिकारी संगठन हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक आर्मी के मास्टर कहे जाते थे। उनके साथ मिलकर दुर्गा भाभी ने भी आज़ादी की लड़ाई के लिए काम करना शुरू कर दिया। बोहरा की पत्नी होने की वजह से सभा के सभी सदस्य उन्हें भाभी कहते थे। उन्हें पिस्तौल चलाने में महारथ हासिल थी। वह बम बनाना भी जानती थी। उन्होंने भगत सिंह को उनकी पत्नी बन पुलिस से बचाया। इस घटना के बाद वह लाहौर लौट आई थीं। जब 1929 में भगत सिंह और राजगुरु ने आत्म समर्पण किया, तब उन्होंने अपनी सारी बचत उनके ट्रायल में लगा दी थी। गहने भी बेच दिए थे और उस समय तीन हजार रुपयों का इंतजाम किया था। 1930 में उनके पति भगवती चरण बोहरा की बम बनाते हुए विस्फोट में मौत हो गई. वह एक शिक्षिका के तौर पर काम करती रहीं। आजादी के बाद उन्होंने गाज़ियाबाद में रहना शुरू किया। मारिया मोंटेसरी, जिन्होंने मोंटेसरी स्कूलों की शुरुआत की, उनसे ट्रेनिंग लेकर उन्होंने लखनऊ में मोंटेसरी स्कूल खोला. 15 अक्टूबर 1999 को दुर्गा भाभी इस दुनिया से चली गईं। बच्चों ने दुर्गा भाभी के जीवन से संबंधित डॉक्यूमेंट्री देखी और कला शिक्षा प्रदीप शर्मा के दिशा निर्देशन में उनका चित्र बनाया।

इस मौके पर प्रधानाचार्य श्रीराम यादव, मनोज जोशी, सीपी खाती, बालकृष्ण चंद, सुभाष गोला, नफीस अहमद, संत सिंह मौजूद रहे। शिक्षक मण्डल द्वारा संचालित स्कूली बच्चों के ग्रुप जश्न के बचपन में भी बच्चों ने दुर्गा भाभी को याद किया। उनके क्रांतिकारी कार्यों पर प्रकाश डालने के साथ-साथ उनका चित्र भी बनाया।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here