समाचार शगुन हल्द्वानी उत्तराखंड
उत्तराखंड उपनल संविदा कर्मचारी संघ ने आज सोमवार 25 अगस्त से प्रदेशव्यापी चरणबद्ध आंदोलन की शुरुआत कर दी है। यह आंदोलन सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय, हल्द्वानी में कार्यरत UPNL कार्मिकों को पिछले छह माह से वेतन न मिलने के विरोध में प्रारम्भ किया गया। सभी जनपदों में कार्मिकों ने काला फीता बांधकर शांतिपूर्ण विरोध दर्ज किया।
संघ ने कहा कि 20-22 वर्षों से नियमित सेवाएं देने के बावजूद वेतन का न मिलना कार्मिकों और उनके परिवारों के लिए गंभीर आर्थिक संकट है। इस संदर्भ में शासन के परस्पर विरोधी आदेश स्थिति को और अधिक जटिल बना रहे हैं।
श्री शुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय प्रशासन का कहना है कि शासनादेश संख्या 828, दिनांक 25.10.2019 के अनुसार नियमित एवं स्वीकृत पद न होने के कारण कार्मिकों का वेतन आहरित नहीं किया जा सकता। वहीं, उसी शासनादेश में यह भी स्पष्ट उल्लेख है कि मद संख्या 27 (अन्य व्यय) से किसी भी दशा में आउटसोर्स कार्मिकों का वेतन/मानदेय भुगतान नहीं होगा। बावजूद इसके, चिकित्सालय में वेतन हेतु बजट की मांग मद संख्या 27 से ही की गई है।
इसी विरोधाभास के आधार पर शासन ने अपने आदेश दिनांक 20.05.2025 में चिकित्सालय प्रशासन से आख्या मांगी है और कहा है कि आउटसोर्स कार्मिकों का मानदेय भुगतान केवल नियमित स्वीकृत पदों के आधार पर ही संभव है। संघ ने स्पष्ट किया कि चिकित्सालय प्रशासन वर्ष 2016 से ही—और उससे पूर्व से भी—नियमित पदों की स्वीकृति हेतु प्रस्ताव शासन एवं निदेशालय को भेजता रहा है।
वर्ष 2016 में मुख्य सचिव, उत्तराखंड की अध्यक्षता में 20 जुलाई 2016 को हुई बैठक में चिकित्सालय में स्वीकृत पदों से अधिक कार्मिकों की तैनाती पर चर्चा हुई थी। उसी बैठक के निर्णय के आधार पर फरवरी 2025 तक वेतन आहरित किया गया था तथा कार्यवृत्त में चिकित्सालय की आवश्यकता अनुसार अतिरिक्त पदों की स्वीकृति देने का भी उल्लेख किया गया था।
संघ का कहना है कि इतने वर्षों से प्रस्ताव भेजे जाने के बावजूद पदों की स्वीकृति न मिलना शासन की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है। संघ ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र बकाया वेतन भुगतान एवं पदों की स्वीकृति नहीं की गई, तो आंदोलन और उग्र किया जाएगा तथा स्थिति कार्य बहिष्कार तक पहुंच सकती है। संघ ने यह भी कहा कि 20-22 वर्षों से निरंतर सेवाएं देने वाले तथा कोरोना काल में अपनी जान जोखिम में डालकर जनता की सेवा करने वाले इन कार्मिकों को आज वेतन तक न मिलना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण एवं अन्यायपूर्ण है।