समाचार शगुन हल्द्वानी उत्तराखंड
अखिल भारतीय किसान महासभा ने आवारा गोवंश से निजात पाने की मांग को लेकर किये जा रहे आंदोलन और 18 सितम्बर को आवारा गोवंश को लालकुआं तहसील में बंद करने की रणनीति बनाने के लिए बैठक की। इस दौरान अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आनन्द सिंह नेगी ने कहा कि भाजपा सरकार की नीतियों के कारण आज गोवंश की बेकद्री और जनता की खेती, जान-माल का भारी नुकसान हो रहा है। गायों की रक्षा के नाम पर भाजपा सरकार द्वारा लाए गए गोरक्षा कानून से गायों की रक्षा तो हो नही पाई। उल्टा गोवंश आवारा हो गया है और भूखे प्यासे सड़कों पर घुम रहा है, चोटिल हो रहा है, दुर्घटनाओं में मारा जा रहा है। और इसी के समानांतर पशुपालकों का पशुपालन व्यवसाय चौपट होकर बोझ बन गया है और किसानों को फसल का नुकसान, दुर्घटनाओं में इंसान को जान-माल का नुकसान उठाना पड़ रहा है। गोरक्षा कानून लाने के बाद बुरी तरह चरमरायी व्यवस्था का भाजपा सरकार ने कोई हल नही निकाला। सीमित मात्रा में खोली गई गौशालाओं में जो गोवंश है उनकी हालात भी बहुत खराब है और गौशालाएं भ्रष्टाचार का अड्डा बन गई हैं। सरकार अपने ही लोगों को गोशाला आवंटन के नाम पर करोड़ों की राशि को गोलमाल करवा रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार तुरंत गोपालकों की बैली गाय, बछिया-बछड़ा, बैल-सांड को खरीदनेे की व्यवस्था करे। सरकार द्वारा गोशालाओं को प्रति गोवंश 900 रू. महीना और देखभाल करने वाले को मिलने वाला मानदेय सीधा पशुपालकों को दिया जाए और गोपालकों को भी ग्राम गोसेवक योजना में शामिल किया जाए ताकि आर्थिक रूप से पिछड़े गोपालक अपनी अनुपयोगी गायों को छोड़ने पर विवश न हों। उन्होंने कहा कि 7 अगस्त को लालकुआं में धरने के माध्यम से शासन-प्रशासन को चेतावनी भी दी थी कि यदि 3 सप्ताह में आवारा गोवंश से निजात नहीं मिली तो आवारा गोवंश को तहसील में बांधने को बाध्य होना पड़ेगा लेकिन 1 माह गुजर जाने के बावजूद शासन-प्रशासन के कान में जूं तक नही रेंगी हैं जबकि 7 अगस्त के बाद लालकुआं तहसील के अंर्तगत ही सड़कों में आवारा गोवंश से टकराने से हुई दर्जनों दुर्घटनाओं में 2 नौजवान अपनी जान गवां बैठे हैं और दर्जनों गम्भीर रूप से चोटिल हुए हैं। प्रशासन ने आवारा गोवंश को सड़को से तो अभी तक नही हटाया। परंतु सूचना प्रेषित कर छोड़ने वाले ग्रामीणों पर ही कार्यवाही करने का फरमान दे दिया है जब सरकार गोपालकों को अनुपयोगी पशुओं को पालने के लिए कोई सहायता नही दे रही तो जुर्माने का क्या मतलब ? जबकि सरकार की नीतियों के कारण ही गोपालक पशुओं को लावारिस छोड़ने पर मजबूर हुआ है। उन्होंने कहा पशुपालन विरोधी कानून से आर्थिक नुकसान झेल रहे गरीब पशुपालकों पर कार्रवाई, पशुपालकों को पशुपालन से बेदखल कर कारपोरेट के हवाले करने की साजिश है किसान महासभा इस कारवाई की निन्दा करती है और पुरजोर ढंग से विरोध करेगी ।
किसान महासभा के वरिष्ठ नेता व भूतपूर्व सैनिक आनंद सिंह सिजवाली ने कहा कि क्षेत्र के किसान आवारा गोवंश से इस कद्र परेशान है कि उनकी रातें खेतों की चैकीदारी में ही कट जा रही हैं, ऐसी ड्यूटी तो फौज में भी नहीं करवायी गयी। कर्ज लेकर किए गए तारबाड़ भी अब भूखे आवारा गोवंश के सामने कुछ नहीं हैं। पिछले 6-7 साल से आई ऐसी विकराल समस्या तराई भाबर के किसानों ने कभी नही देखी। अब ग्रामीण आक्रोशित हैं और सरकार की नीतियों के कारण आवारा गोवंश को सरकारी गोवंश मानते हुए 18 सितम्बर को तहसील के सुपुर्द करने को तत्पर हैं।
बैठक में फैसला लिया गया कि गावं-गांव में बैठक आयोजित की जाएंगी और माइक से प्रचार किया जाएगा ताकि हजारों लोग आवारा गोवंश को लेकर लालकुआं तहसील में चलने वाले आंदोलन में शामिल हो सकें। बैठक में नैन सिंह कोरंगा, विमला रौथाण, पुष्कर दुबड़िया, निर्मला शाही, पार्वती देवी, दीपा देवी, कमल जोशी, ललित मटियाली, हरीश भंडारी, चन्द्रशेखर पाठक, आन सिंह, बची सिंह जग्गी, स्वरूप दानू, मदन धामी, नन्दाबल्लभ, आनन्द दानू, शेखर चन्द्र पाण्डे, बसंत बल्ल्भ, उत्तम सिंह, खुशाल सिंह, आदि मौजूद थे।